देखे जो ख़्वाब शायद पूरे हो ना हो, लेकिन अभी जैसा है तू वैसा ही रहना, तुम्हें मेरी क़सम। वक़्त का कुछ भरोसा नहीं कब हमारे ख़िलाफ हो जाए, मे मिलू या ना मिलू लेकिन तुम हमेंशा खुश रहना, तुम्हें मेरी क़सम। बुने थे जो आशियाने के ख़्वाब हमने, शायद पूरे ना भी हो,लेकिन तुम अपना आशियाना बसा लेना, तुम्हें मेरी क़सम। शायद हमारी क़िस्मत अभी ना मिली हमे लेकिन, अगर किसी राहों में टकरा गए तो पहले जैसे ही मिलना,तुम्हें मेरी क़सम। P.P.10... #PP_शब्दरेखा_तुम्हें_मेरी_क़सम ➡️विषय पर अपने स्वयं के भाव-व्यक्त कीजिये। स्वरचित रचना ही मान्य है।