चांदनी ने पूछा, ये चेहरा क्यों हंसता है, दिल के दरवाजे पर क्यों सन्नाटा बसता है? कह न पाया, आंखों का ये हाल, मुस्कुराहट के पीछे है जख्मों का जाल। हर रात ये आँखें सितारों से लड़ती, भीतर के आँसू हवाओं में बहती। ख्वाबों की परतें टूट-टूट गिरें, उम्मीदों की चादर फटी-फटी मिलें। सवालों के घेरे, जवाबों का डर, दर्द छुपाने में लगती हर एक नजर। हंसी के सुरों में रुदन की कहानी, हर रोज़ ये दिल खेले नयी रूहानी। चांदनी ने फिर कहा, सच कह दे अभी, क्यों हर मुस्कान में छुपी है खलबली? दिल ने बस धीरे से इतना बताया, "मुस्कुराने का हुनर, जीने का साया।" ©Jitendra Giri Goswami रात रात मुस्कुराने का हुनर। #sadness #NojotoWritingPrompt 'दर्द भरी शायरी'