ऋग्वेद साम औ यजुर्वेद की निर्मल सुन लो वाणी हा लिखे वेद प्रतिलाभ हेतु सुने जन जन औ प्राणी जीवन की रेखा को प्रतिपल फलीभूत रख पाना साम ऋगु यजुर्वेदों को चाहिए जन जन को अपनाना रोग आघात दोष निवारण मे है ज्ञान वेद का आगे कब कब कौन से कर्म करें औ कब निद्रा को त्यागे मनुज कर्म औ आचरण को तय निश्चय करते वेद समुदाय जाति औ धर्म मे दे ज्ञान बिना मतभेद प्रकाश प्रकाश