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लंकेश तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की बदला भेश हो

लंकेश
तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की
बदला भेश हो गए साधु हम भी ,
पता न था उसकी कुटिया का
तब हाथ फैला कर हो गए भिखारी हम भी
रास्ता जंगल वन से गुजरता गया
दण्डकवन से जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला
हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा
देखा विश्वामित्र प्रिय मैने 
 तब पाया मुक्ति का साधन 
विवश हो के मैं रोने लगा,
जनक पुत्री मैं हरने लगा 
जो संत का चोला ओढ़ था 
अब मैं उसे उससे छलने लगा
मेघ रथ पे ले गया,
स्वर्ण वाटिका ....
सम्मान से रखा अंत तक 
अपने पीतवासा के आने तक
मुक्ति का साधन मिला मुझे मेरे घर से
जासूस जो निकाला दिया अपने ग्रह से
वो जा मिला मेरे मित्र से
हो गया मुक्त मैं अपने आराध्य से । लंकेश
#तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की
बदला भेश हो गए #साधु हम भी ,
पता न था उसकी #कुटिया का
तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी
रास्ता #जंगल वन से गुजरता गया
दण्डकवन से #जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला
हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा
लंकेश
तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की
बदला भेश हो गए साधु हम भी ,
पता न था उसकी कुटिया का
तब हाथ फैला कर हो गए भिखारी हम भी
रास्ता जंगल वन से गुजरता गया
दण्डकवन से जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला
हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा
देखा विश्वामित्र प्रिय मैने 
 तब पाया मुक्ति का साधन 
विवश हो के मैं रोने लगा,
जनक पुत्री मैं हरने लगा 
जो संत का चोला ओढ़ था 
अब मैं उसे उससे छलने लगा
मेघ रथ पे ले गया,
स्वर्ण वाटिका ....
सम्मान से रखा अंत तक 
अपने पीतवासा के आने तक
मुक्ति का साधन मिला मुझे मेरे घर से
जासूस जो निकाला दिया अपने ग्रह से
वो जा मिला मेरे मित्र से
हो गया मुक्त मैं अपने आराध्य से । लंकेश
#तड़प कुछ इस कदर थी उसे देखने की
बदला भेश हो गए #साधु हम भी ,
पता न था उसकी #कुटिया का
तब हाथ फैला कर हो गए #भिखारी हम भी
रास्ता #जंगल वन से गुजरता गया
दण्डकवन से #जानकी का कुछ संदेह ऐसा मिला
हो गया मेघ बिजली सा मन मेरा
khnazim8530

Kh_Nazim

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