अनुकूल परिस्थिति में प्रसंता प्रतिकूल परिस्थिति में दुख होता है और मन स्थिति में परिवर्तित हो जाता है प्रतिकूल परिस्थिति से निराशा की भावना तनाव आता है जिससे अनेक घटनाएं घटित होती है आत्महत्या जैसी भाव स्थिति पैदा हो जाती है श्री राम को दशरथ ने राजा देने की घोषणा की तो हर्ष नहीं वनवास दिया तो विषाद नहीं समुचित यह तभी संभव है यदि व्यक्ति राम हो राम अवतार तो अपने आप में रमण करने वाला महात्मा बुद्ध ने कहा है किसी बाहरी शक्ति में इतनी ताकत नहीं कि वह हमारे मन को काबू कर सके और जब हम भी इस बात को समझ जाते हैं तो हम स्वतंत्र हो जाते हैं ©Ek villain #RABINDRANATHTAGORE हैप्पी बर्थडे