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खड़ा अकेला वो सोच रहा बदलता सबको वो बंद आंखों से द

खड़ा अकेला वो सोच रहा
बदलता सबको
वो बंद आंखों से देख रहा ।
ये कैसे, 
रुप लोगो ने अब 
ले लिए है।
अपनी सादगी, सरलता
और अपनी अच्छाई को
वो कीऊ भूल गए है।
क्यू सब एक दूजे के लिए
पराए बने है?
क्यों अब अनजान लोगो 
से सब डरने लगे है?
अब क्यू बिन काम के 
एक दूजे से लोग
ना मिलते हैं।
ऐसा मैंने तो ना सोचा 
रचते हुए ये संसार था।

©Ujjwal Kaintura
  #uskebina #God #perspective #kavita