यह जीवन क्या है निर्झर है मस्ती ही इसका पानी है सुख-दुख के दोनों तीरों से चल रहा राह मनमानी है निर्झर में गति है जीवन है वह आगे बढ़ता जाता है धुन एक सिर्फ है चलने की अपनी मस्ती में गाता है... -वेद प्रकाश ©VED PRAKASH 73 #शिलालेख