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राह गुज़र निहारते हुए, जो पथरा सी गईं हैं, मुरझाई

राह गुज़र निहारते हुए, जो पथरा सी गईं हैं,
मुरझाई सी आँखें जो अब धुंधला सी गईं हैं।
कलेजे के टुकड़े को परदेस जो कभी भेजा,
अब तो उसकी यादों को आँखों में सहेजा।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #राह #गुज़र