कृष्ण भजन ************ कान्हा तेरी मुरली करत ढिठाई ओ कान्हा तेरी ---------------- मधुर सुरीली तान सुनावत , मोहे नाच नचावत कभी मुस्कावत, राधा को रिझावत कभी मोहे देत खिझाई ओ कान्हा------------ पास बुलावत ,तोसे मिलावत धून पे रास रचावत कभी लूक छिप का खेल खेलावत यमुना तट पे जाई ओ कान्हा --------------------------- ©Ram Singh # Krishan Bhajan #