इक अरसा हो गया वह खुलकर कभी मुस्कुराया नहीं इक अरसा हो गया 'ज़िन्दगी' ने उसे गले लगाया नहीं सत्य की खोज में निकला था वो यथार्थ ज्ञान पाया नहीं अभी भी अपने मन से उसने 'झूठ' का पर्दा उठाया ही नहीं 👉🏻 प्रतियोगिता- 447 विषय 👉🏻 🌹"इक अरसा"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 🌟कृपया font size छोटा रखें जिससे wallpaper ख़राब नहीं लगे और Font color का भी अवश्य ध्यान रखें ताकि आपकी रचना visible हो। 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।