आज हमें मिले पूरे साल हुए पर तुम मेरे शायद कभी न हुए , होती तो ये बहुत ही हसीन शाम मेरे खातिर पर तुम है नहीं मेरे तो क्या ये शाम होगी । मेरी मुहब्बत में ही थी कोई कमिया तभी तुमने छुड़ा ली मुझसे साथ , खैर अब ये दिन तो न रहा खास क्योंकि अब न मेरे हो तुम पास । खुदा से इल्तज़ा है इतनी हमारी दे दे वो सारी खुशियां तुम्हे भी हमारी , हमारा क्या हम तो गुमनाम थे और रहेंगे पर ख़ुदा तुम्हे हमेशा सलामत रखे । काश तुम मेरे होते शायद .................