White मेरा मन हमेशा अंतर्द्वंध से लड़ता रहता है कभी ख्वाबों के पुलिंदे सजाता है तो कभी मायूसी को गले लगाता है कभी भविष्य की संभावनाओं को निहारता है तो कभी अतीत के जख्मों को टटोलता है कभी समझदार बनकर जिम्मेदारियों से डरता है तो कभी सारे बंधन तोड़ आजाद होने को करता है कभी मान सम्मान के दायरे तय करता है तो कभी कल्पनाओं के साकार होने की दुआ करता है कभी स्वार्थ में खुद के लिए प्रेम ढूंढता है तो कभी निस्वार्थ बन अपने हिस्से का प्रेम भी ओरो के लिए उड़ेल देता है कभी जो हासिल हुआ उसी में सब्र कर लेता है तो कभी जो पाना रह गया उसकी शिकायते करता रहता है मेरा मन हमेशा अंतर्द्वध से लड़ता है क्या तुम्हारा भी मन कभी अंतर्द्वंध से लड़ता है। ©seema patidar मेरा मन