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कोरोना और जीवन- 02 विश्वभर में कोरोना ने सभी को प

कोरोना और जीवन- 02

विश्वभर में कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है।
हमारे देश में भी सबसे ज़्यादा मार ग़रीब ने झेली।
गंदगी अशिक्षा और अभाव पहले से ही उनके दुश्मन बने बैठे थे रही सही कसर कोरोना ने निकाल ली। बात ये है कि आज़ादी के सात दशकों से हम देश की ग़रीबी और अशिक्षा को दूर नही कर पाए। क्या कारण रहे होंगे?हमारे देश की आज़ादी के बाद स्वतंत्र हुए कई देश बेहतर कर पाए कैसे? #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा के कारण देश में पहले से ही हालात स्थिर नही थे। जो भी कारण रहे न तो देश की जनता इन्हें समझना चाहती और न ही नेतृत्व जनता के सामने रख पाता। #कोरोना_और_जीवन  02 पर पेश है #पाठकपुराण की ओर से कुछ बातें----
:
#चेतन_भगत देश के बहुचर्चित अंग्रेजी के उपन्यासकार कहते हैं कि---
भारतीय नागरिकों को अर्थव्यवस्था की परवाह नही है। पाकिस्तान को सबक सिखाइए तो लाखों आपकी जय-जयकार करेंगे। अर्थव्यवस्था की बात करो तो लोग जम्हाई लेंगे,चैनल बदल देंगे।नेता वैसा ही व्यवहार करते हैं,जैसा जनता देखना पसंद करती है। यह केवल एक व्यक्ति या एक सरकार के बारे में नही है।
जब लोग परवाह करना शुरू करेंगे तो नेता भी परवाह करेंगे।
 *शायद भारतीय बहुत महत्वकांक्षी नही हैं।
शायद हम क़िस्मत पर बहुत भरोसा करते हैं।
हम सोचते हैं कि पैसा सिर्फ़ हमारे काम करने से नही आएगा।तभी आएगा जब ईश्वर चाहेगा।*
कोरोना और जीवन- 02

विश्वभर में कोरोना ने सभी को प्रभावित किया है।
हमारे देश में भी सबसे ज़्यादा मार ग़रीब ने झेली।
गंदगी अशिक्षा और अभाव पहले से ही उनके दुश्मन बने बैठे थे रही सही कसर कोरोना ने निकाल ली। बात ये है कि आज़ादी के सात दशकों से हम देश की ग़रीबी और अशिक्षा को दूर नही कर पाए। क्या कारण रहे होंगे?हमारे देश की आज़ादी के बाद स्वतंत्र हुए कई देश बेहतर कर पाए कैसे? #सार्वजनिक_अनुशासन_की_कमी_एवं_अशिक्षा के कारण देश में पहले से ही हालात स्थिर नही थे। जो भी कारण रहे न तो देश की जनता इन्हें समझना चाहती और न ही नेतृत्व जनता के सामने रख पाता। #कोरोना_और_जीवन  02 पर पेश है #पाठकपुराण की ओर से कुछ बातें----
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#चेतन_भगत देश के बहुचर्चित अंग्रेजी के उपन्यासकार कहते हैं कि---
भारतीय नागरिकों को अर्थव्यवस्था की परवाह नही है। पाकिस्तान को सबक सिखाइए तो लाखों आपकी जय-जयकार करेंगे। अर्थव्यवस्था की बात करो तो लोग जम्हाई लेंगे,चैनल बदल देंगे।नेता वैसा ही व्यवहार करते हैं,जैसा जनता देखना पसंद करती है। यह केवल एक व्यक्ति या एक सरकार के बारे में नही है।
जब लोग परवाह करना शुरू करेंगे तो नेता भी परवाह करेंगे।
 *शायद भारतीय बहुत महत्वकांक्षी नही हैं।
शायद हम क़िस्मत पर बहुत भरोसा करते हैं।
हम सोचते हैं कि पैसा सिर्फ़ हमारे काम करने से नही आएगा।तभी आएगा जब ईश्वर चाहेगा।*