सुकूत ए मर्ज़ अब दिल को कहीं आने नहीं वाला है गम महमान अब इसमें कहीं जाने नहीं वाला गुज़िश्ता दिल की बातें अब तुम्हें समझाऐं भी कैसे गुज़िश्ता वक्त तो फिर से तुम्हें लाने नहीं वाला तहफ्फुज़ दिल के रिश्तों का बड़ा पेचीदा मसला है मस्हल ए इश्क अब उनको मैं समझाने नहीं वाला मैं माज़ी हूँ, सदा मेरी सुने वो तो भला क्यूँ कर मैं दिल नाकिस सी उम्मीदों से बहलाने नहीं वाला किसका हाथ थामें, दिल की दुनिया में वीराना है तुम्हारे बाद इस घर में कोई आने नहीं वाला समर की फिक्र छोड़ो ये बहुत कमज़र्फ आशिक है तुम्हारे कत्ल करने पर भी मर जाने नहीं वाला