एक वक्त की बात है,,, जब गली में क्रिकेट खेलने से शुरुआत हुई थी,, स्कूल जाना हुआ,, कॉलेज जाने लगा,, फिर जिंदगी को स्थिर करने की लगन में किताबो से नाता जोड़ा ,,, और एक रोज़ वहां पहुंच गया,, जहा जाना अच्छा नही लगा करता था .. - "नौकरी करने" नौकरी करने गया तो सही और जब तक खुद को वहां से "लौटा" हुआ महसूस करता,,, बीत चुकी थी मेरी सारी "जिंदगी".....! नौकरी