" हर रोज कोई ख्वाब गवारा रह जाता है , तेरे ख्यालों से परे कोई जुस्तजू अधूरा रह जाता है , तेरे फासलों का सफर क्या खूब मैंने तय किया है , तेरी हसरतें छोड़ के हर एक ख्याल मुकमबल हो जाता है ." --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " हर रोज कोई ख्वाब गवारा रह जाता है , तेरे ख्यालों से परे कोई जुस्तजू अधूरा रह जाता है , तेरे फासलों का सफर क्या खूब मैंने तय किया है , तेरी हसरतें छोड़ के हर एक ख्याल मुकमबल हो जाता है ." --- रबिन्द्र राम