वक्त के साथ वो अपना महल छोड़ चले चंद कागजों की तलाश में वो अपना चमन छोड़ चले वक़्त के साथ बुढापे में जिन हाथों की लाठी बनना था उन्हे आज उन्हीं के हाथों में चंद कागज़ छोड़ चले अब आते हैं वो तो पतझड़ में बहारों की तरह सालों में हो कहीं वो ईद दिवाली की तरह लोग कहते हैं कि बेटियां पराई होती हैं वक्त के इस दौर में अब बेटे भी पराये हो चले चंद कागजों के लिए वो अपना चमन छोड़ चले वक्त के इस दौर में अब बेटे भी पराये हो चले ✍azkjhs #azkjhs #Farzishayarazk #Nojoto #nojotoapp #nojotoofficial #shayari #urdupoetry #qoute