वो अक्सर बारिशों का पक्ष लेते है, लेते है कलम और कागज़ कुछ ख़ास लिखते है, जो ख़ुशबू रह जाती है मिट्टी में, उसी ख़ुशबू का अंश रखते अपने लेख में, जैसे जैसे हवा को मोह लगता है फूलों से, मानो ख़ुशबू फूलों में अहसास हो यादों से, दूर कहीं पहाड़ो में घर एक हुआ करता है, यादों का बसेरा और दुआ का सवेरा साझा करता है, देखा है प्यार भरा बोल गाओ में कहा शहर जैसा घोल, ना गालियां गहरी ना बातो में झोल, मस्वारा भी स्नेह भरा, स्नेह भरा है वचन सारा, आज भी देखा अपनों जैसा रंग सभी में, रंग में डूबे गीत यहां पहाड़ो में, जाने को रहने को यही एक प्रदेश लगता, अब नहीं लगता शहर घर तो बस गाओ लगता, #गाओ