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गुप्त नवरात्रि ©Surbhi Gau Seva Sanstan #सनातन_सम

गुप्त नवरात्रि

©Surbhi Gau Seva Sanstan #सनातन_समाज_के_मौलिक_जातीय_तत्त्व।।
१. सनातन समाज में वर्ण चार ही होते हैं, पाँचवाँ वर्ण नहीं होता। ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य ये तीनों “द्विज” वर्ण हैं तथा शूद्र “एकज” वर्ण है। उपनयनपूर्वक गुरु से वेदाभ्यास सीखने के कारण द्विज नाम दिया गया है। पूर्णिमा में स्वगुरु का पूजन व स्मरण करना चाहिए।

२. चारों में से किसी भी वर्ण में परिगणित न होने वाले सनातनियों को “वर्णेतर, अन्तरप्रभव अथवा सान्तराल” कहते हैं। इस विभाग की संख्या सर्वाधिक होती है। इस प्रकार सनातन समाज के ५ विभाग हैं जो क्रमश: निम्नतर है
गुप्त नवरात्रि

©Surbhi Gau Seva Sanstan #सनातन_समाज_के_मौलिक_जातीय_तत्त्व।।
१. सनातन समाज में वर्ण चार ही होते हैं, पाँचवाँ वर्ण नहीं होता। ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य ये तीनों “द्विज” वर्ण हैं तथा शूद्र “एकज” वर्ण है। उपनयनपूर्वक गुरु से वेदाभ्यास सीखने के कारण द्विज नाम दिया गया है। पूर्णिमा में स्वगुरु का पूजन व स्मरण करना चाहिए।

२. चारों में से किसी भी वर्ण में परिगणित न होने वाले सनातनियों को “वर्णेतर, अन्तरप्रभव अथवा सान्तराल” कहते हैं। इस विभाग की संख्या सर्वाधिक होती है। इस प्रकार सनातन समाज के ५ विभाग हैं जो क्रमश: निम्नतर है