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ये कहानी है दो मजदूरों की जिनमें से एक का नाम चमन

ये कहानी है दो मजदूरों की जिनमें से एक का नाम चमन और दूसरे का रमन था। दोनों बड़ी ही लगन और मेहनत से काम करते थे। मगर एक दिन ख़बर आई कि कारखाने बंद हो रहे हैं कोई माहवारी फैली हुई है तो सरकार के आदेश हैं। दोनों ने उस दिन देर शाम तक काम किया। काम खत्म होते ही मालिक ने उन्हें बुलाया और उनकी मजदूरी देकर उन्हें अगले दिन से ना आने के लिए कह दिया। ये सुनकर ही चमन और रमन के पैरों तले से जमीन खिसक गई। दोनों चिंता में डूबे हुए अपने अपने रहने के ठिकानों की ओर चल दिए। मगर अब वो बहुत डर गए थे उन्हें अपने बच्चों और परिवार की चिंता सता रही थी और आज उनकी ये मजदूरी उन पर कहर ढा रही थी। दोनों काफी थक चुके थे तो रेल की पटरी के किनारे आकर बैठ गए। बातों बातों में पता चला कि दोनों एक ही शहर के थे। एक दुसरे को जान कर अजीब सा अपनापन महसूस कर रहे थे। साथ ही एक दूसरे को सहारा और ढांढस बंधाने में लगे हुए थे। यूं बातें करते करते कब रात हो गई दोनों को पता नहीं चला। दोनों ने सोचा कि आज की रात यहीं गुज़ार लेते हैं और सुबह होते ही वो अपना अपना सामान लेकर अपने घर की ओर चल देंगे। मगर वो किस्मत से अनजान थे, किस्मत कुछ और ही चाहती थी, रात के घने अंधेरे में और अपनों की याद में सपनों में खोए चमन और रमन के उपर से कब वो रेलगाड़ी गुज़र गई किसी को पता तक ना चला। दोनों की मजदूरी और सपनों ने वही आँखों में दम तोड़ दिया। आज के औरंगाबाद रेल हादसे ने स्तब्ध कर दिया है। प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर सभी मृतकजनों की आत्मा को शांति प्रदान करे और परिवारजनों को दुख सहने की शक्ति दे। 
#yostowrimo में प्रवासी मज़दूरों को केंद्र में रखते हुए एक कहानी लिखें। कहानी दो प्रवासी मज़दूरों के बीच वार्तालाप के रूप में हो सकती है अथवा आपके प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित हो सकती है।
#मज़दूरीएककहानी   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
ये कहानी है दो मजदूरों की जिनमें से एक का नाम चमन और दूसरे का रमन था। दोनों बड़ी ही लगन और मेहनत से काम करते थे। मगर एक दिन ख़बर आई कि कारखाने बंद हो रहे हैं कोई माहवारी फैली हुई है तो सरकार के आदेश हैं। दोनों ने उस दिन देर शाम तक काम किया। काम खत्म होते ही मालिक ने उन्हें बुलाया और उनकी मजदूरी देकर उन्हें अगले दिन से ना आने के लिए कह दिया। ये सुनकर ही चमन और रमन के पैरों तले से जमीन खिसक गई। दोनों चिंता में डूबे हुए अपने अपने रहने के ठिकानों की ओर चल दिए। मगर अब वो बहुत डर गए थे उन्हें अपने बच्चों और परिवार की चिंता सता रही थी और आज उनकी ये मजदूरी उन पर कहर ढा रही थी। दोनों काफी थक चुके थे तो रेल की पटरी के किनारे आकर बैठ गए। बातों बातों में पता चला कि दोनों एक ही शहर के थे। एक दुसरे को जान कर अजीब सा अपनापन महसूस कर रहे थे। साथ ही एक दूसरे को सहारा और ढांढस बंधाने में लगे हुए थे। यूं बातें करते करते कब रात हो गई दोनों को पता नहीं चला। दोनों ने सोचा कि आज की रात यहीं गुज़ार लेते हैं और सुबह होते ही वो अपना अपना सामान लेकर अपने घर की ओर चल देंगे। मगर वो किस्मत से अनजान थे, किस्मत कुछ और ही चाहती थी, रात के घने अंधेरे में और अपनों की याद में सपनों में खोए चमन और रमन के उपर से कब वो रेलगाड़ी गुज़र गई किसी को पता तक ना चला। दोनों की मजदूरी और सपनों ने वही आँखों में दम तोड़ दिया। आज के औरंगाबाद रेल हादसे ने स्तब्ध कर दिया है। प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर सभी मृतकजनों की आत्मा को शांति प्रदान करे और परिवारजनों को दुख सहने की शक्ति दे। 
#yostowrimo में प्रवासी मज़दूरों को केंद्र में रखते हुए एक कहानी लिखें। कहानी दो प्रवासी मज़दूरों के बीच वार्तालाप के रूप में हो सकती है अथवा आपके प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित हो सकती है।
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anilsharma5490

Anil Sharma

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