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तोड़ कर दुसरो का आशियाना हमने अपना आशियाना बनाया पे

तोड़ कर दुसरो का आशियाना
हमने अपना आशियाना बनाया
पेड़ो को काट कर हमने
इमारतों को सजाया
पेड़ पर से बेजुबानों के 
घोंसले गिरे, 
तब हमने ओह हो कह दिया
उन बेजुबानों के आंखों में भी आंसू आये होंगे
क्या पता उस घोंसले में उनके बच्चे रहे होंगे
तोड़ कर दुसरो का आशियाना 
हमने अपना आशियाना बनाया POETRY 114
Title दुसरो का आशियाना
#nojoto

This is my 114 poetry
Previous poetry you can read on #poetry_of_psp and #psp_की_कविता and yourquote.in/pratyushpsp
तोड़ कर दुसरो का आशियाना
हमने अपना आशियाना बनाया
पेड़ो को काट कर हमने
इमारतों को सजाया
पेड़ पर से बेजुबानों के 
घोंसले गिरे, 
तब हमने ओह हो कह दिया
उन बेजुबानों के आंखों में भी आंसू आये होंगे
क्या पता उस घोंसले में उनके बच्चे रहे होंगे
तोड़ कर दुसरो का आशियाना 
हमने अपना आशियाना बनाया POETRY 114
Title दुसरो का आशियाना
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pratyushs0362

Pratyush PSP

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