तोड़ कर दुसरो का आशियाना हमने अपना आशियाना बनाया पेड़ो को काट कर हमने इमारतों को सजाया पेड़ पर से बेजुबानों के घोंसले गिरे, तब हमने ओह हो कह दिया उन बेजुबानों के आंखों में भी आंसू आये होंगे क्या पता उस घोंसले में उनके बच्चे रहे होंगे तोड़ कर दुसरो का आशियाना हमने अपना आशियाना बनाया POETRY 114 Title दुसरो का आशियाना #nojoto This is my 114 poetry Previous poetry you can read on #poetry_of_psp and #psp_की_कविता and yourquote.in/pratyushpsp