तलाश में मंजिल की #संघर्ष_ख़ुद से ही अब कर रहा हूँ,,, #उलझा हूँ ख़ुद से ही अब #खुद को फिर से सुलझा रहा हूँ !! मिटा रहा हूँ मैं निशां वो #अपनी_कमियों के हर एक दाग के,, देकर #इम्तेहान_सब्र का इंतजार फिर #मंजिल का कर रहा हूँ !!