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होटो पर मत जा 'ए गालिब' इन्हे हसना आता है दर्द क

होटो पर  मत जा  'ए गालिब' इन्हे हसना आता है
दर्द के अश्कों को हमें छुपाना आता है

यूं तो कयी जरिए है इस अजाब की नजरअंदाजी के
हमे तो सिर्फ मुस्कुराना आता है।। अजाब = दर्द
होटो पर  मत जा  'ए गालिब' इन्हे हसना आता है
दर्द के अश्कों को हमें छुपाना आता है

यूं तो कयी जरिए है इस अजाब की नजरअंदाजी के
हमे तो सिर्फ मुस्कुराना आता है।। अजाब = दर्द