हमने पन्ने पलटे पुस्तको के तो हबा ने रूख मोङ लिया तनिक नजरे क्या मिलाई उनसे सुखो का रूख मोङ लिया जब पता पुचा घर का तो पता बगिचे का चोङ दिया। कहा हम तो कलिया खिलती हुई है हमे कांटो का ढेर बोल दिया। हमने कहा हम तो कांटे ही सही पर तुम्हे तो हमने फुलो से तोल लिया। वक्त है जनाब आज आपका वरना फुल भी कांटो मे पला करते है। write by ब्रजपाल चारण आम्बातरी