बचपन की प्यारी बातें और राग द्वेष से अनजान। तेरा मेरा समझ न पाते होता नहीं कोई अपमान। रोकर और मचलकर अपनी सारी बात मनाते ये! पिटके भी आती इनके होठों पर निश्छल मुस्कान। 🌝प्रतियोगिता-33 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"निश्छल मुस्कान "🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I