क्या-क्या कहूँ, किस-किस को कहुँ, हैं कौन मुझे समझने वाला । क्या-क्या बताऊँ,किस-किस को बताऊँ, हैं कौन मुझे सुने वाला। पागल तो बस मैं ही हूँ ना, हम कहाँ समझदार तुम्हारी तरह। हैं कौन सा भरोसा , जो रखूँ तुम पर। क्या हैं भरोसा ,जो ना जान सकते तुम अब तक। हालात बिगड़े, वादे टूटे, छुटा साथ यारों का, कहानी बनाई, कहानी सुनाई, निकल किस्सा बेख्याली का। दिल टूटा ,चाँद रूठी, सूखा समन्द्र आँखों का, वक़्त बदल,सच छुटा, फिसली जमीन पैरों की। अब ना होगा भरोसा फिर से, ना होगी वैसी यारी। शहरा सजेंगे, जनाजा उठेंगा , ना देगें अब तुम्हारा साथ। ©ittu Sa इत्तु सा पैग़ाम बिखरे रिश्तों के नाम। क्या क्या कहूँ, किस किस को कहुँ, हैं कौन मुझे समझने वाला । क्या क्या बताऊँ,किस किस को बताऊँ, हैं कौन मुझे सुने वाला।