समझ जाना... हवा की लहर जो, हलकेसे छूकर गुज़रे.. सोई हुई उमंग अगर, एकाएक उभरे... समझ जाना; मैंने छुआ है.... अगर कभी लहू, ज्यादा जिंदा लगे.. धडकन अगर कुछ, सरगम सी बजे... समझ जाना; मैंने छुआ है.... गरमी में अचानक, ठंड जो लहरायें.. अगर कोई नज़ारा, तुम्हारे कदम को ठहराये... समझ जाना; मैंने कुछ कहा है.. जब मेरा कोई, एहसास होना बंद हो जाएगा.. सब होकर खुशहाल, तेरा दिल जो रोयेगा... समझ जाना; मुझे कुछ हुआ है.... Vishal/Aadinaath 28-06-21 ©Vishal Chavan #समझ_जाना #Indication