तेरी मोहब्बत मुकम्मल हुये इश्क़ की दासता कुछ ऎसी थी सात जन्मों के बंधन में बंधी डोर जैसी थी उसकी आँखो से आँसू कभी छलकने ना दिये उनकी मंज़िल-ए-इश्क़, मोहब्बत में दीवानगी सी थी ~~Dimple Panchal #manzil-e-ishq