~ कृष्ण ~ देख रहे हैं 'कृष्ण' पलट कर प्रेम, 'वात्सल्य' नयनों में भर कर उचित दिवस... निहारे नंदन गिरिधर चले 'अलविदा' कह कर मन मंदिर में निवसित किंतु जीवन का एकमात्र बिंदु याद करें तुमको रह-रह कर विचरो पुनः रूप नए लेकर रघुनंदन व केशव की भाँति देखे सभी नेत्र फिर भर कर । - प्रगति ©Swatlqalb krishna... #krishna #swatalqalb #TG #hindi #hindikavita