शहर वही रहने दो, तख्त-ए-ताज बदल दो। जो कल न बदल सके,वो आज बदल दो। पानी पर पुल नहीं, सूखे गले में पानी नहीं, रुंधे हुए गले की आवाज बदल दो। ©Rituraj Papnai #बदलाव_भी_जरूरी_है #सल्ट_विधानसभा_उपचुनाव #vacation