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ग़ज़ल :-तौफ-ए-यार... तौफ़-ए-यार हमें रिश्ते नि

ग़ज़ल :-तौफ-ए-यार...

तौफ़-ए-यार  हमें  रिश्ते  निभाने  से  मिले,
ज़िल्लत-ए-यार मिरे ख़ाब सजाने से मिले।

द़ाग  रुसवाई का  उसने  है लगाया तुझपे,
ये वफ़ा के सिले खुद कोही मिटाने से मिले।

हर  सितम  आखिरी  है  मान  भुलाए बैठे,
इंतिहा  है  हो  गई  ज़ख्म  छिपाने से मिले।

दर्द ही दर्द मिला मुझको मुहब्बत का सिला,
सिल-सिले मजरुहियत प्यार लुटाने से मिले।

ख़ाक़  होने  का  बहाना न मिला है मुझको!
ज़िन्दगी  साथ बिताने  के  बहाने  से  मिले।

हाल अपना  बयां करना न हमें आया कभी,
इश्क़ अंजाम  हमें हद से  गुज़रने  से मिले।

ठोकरों के सिवा कुछ भी न जमाने से मिले,
दर्द-ए-इश़्क है "तनुजा" ये मुकरने से मिले।।

अर्चना तिवारी तनुज

©Archana Tiwari Tanuja
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26/06/2023 
ग़ज़ल :- तौफ़-ए-यार
2122 1122 1122  22/112

#NationalSimplicityDay #gazal #Tauf-e-yaar Love Nojoto #NojotoFilms #shayri #MyThoughts #viarl 26/06/2023 ग़ज़ल :- तौफ़-ए-यार 2122 1122 1122 22/112 #शायरी

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