स्वयं को बिना तलाशे, निकल पड़ी आनंद की तलाश में बह। मालूम था पथ मुसीबतों से भरा होगा , लेकिन पीछे मुड़कर न देखी बह । स्वयं से बिना आज्ञा लिए , निरन्तर चलती रही बह। स्वयं को टालती हुई , एक पल भी न रुकी बह। सोचती रही यह, आनन्द अभी होगा दूर बहुत। भटकी हुई बह, जब उसे आनंद की प्राप्ति न हुई, थककर हताश पड़ गई बह। उसी समय मन के भीतर से पुकार गूंजी, हताश पड़ी अपने भीतर तलाशने लगी बह। स्वयं को जब तलाशा उसने , आनंद को भी निकट पाया उसने । ©Divya Hariwanshi heart touching life quotes in hindi