'बेमौसम बरसात' तीखी सी ख़ामोशियों में, मीठी-सी तेरी यादें हैं, पकते ख़यालों के धुएँ में ख़ुश्बू सी तेरी बातें हैं। क़ायनात कुछ कह रही, हुई बे-मौसम बरसात, बारिश की बूँदों में ठंडी-ठंडी सी तेरी चाहतें हैं। सौंधे-सौंधे महक रहे लम्हे, खिल उठा मन भी, बहती इस हवा में रची-बसी सी तेरी कुशादें हैं। बूँदें कुछ भी कहे मुझे तो लगता है पैग़ाम तेरा, उनकी टिप-टिप में सँवरी सी तेरी अलामतें हैं। बे-वजह तो मौसम भी बदला नहीं होगा 'धुन', डूबती साँसों में यूँ ज़िन्दगी सी तेरी इनायतें हैं। कुशाद- ख़ुशी अलामत- निशानी Rest Zone 'बेमौसम बरसात' #restzone #rztask38 #rzलेखकसमूह #sangeetapatidar #ehsaasdilsedilkibaat #yqdidi #बरसात