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बीते सावन कई , मगर वो लौटके ना आये। झुल तो आज भी प

बीते सावन कई ,
मगर वो लौटके ना आये।
झुल तो आज भी पड़ती है,
मगर हमें कौन झुलाये।
 इस जिस्म को तो,
अपना कहने वाले बोहत है
नोहरा,
इस दर्द को कौन अपनाये।

©Suneel Nohara
  दर्द  को कौन अपनाये, vineetapanchal  puja udeshi  Anupriya  अदनासा-  Anshu writer