नूर आंखों का दिल के सहारे चले। वो गया चांद! देखो वो तारे चले! बागबा ने शफकत से पाला जिसे! मोसमों ने नज़ाकत से ढाला जिसे! उस हसीं रूप को, सुबह की धूप को! यह समय के कहां लेके धारे चले! नूर आंखों का दिल के सहारे चले! जिसके दम से था आबाद मेरा जहां जिस की रौनक से रोशन था यह आशियां अब हमें छोड़ कर। हम से मुंह मोड़ कर। करके सुना वह घर को हमारी चले। नूर आंखों का दिल के सहारे चले। खुशबुओं सी, वो चंचल सी अल्हड़ पवन! जिसके दम से था आबाद मेरा चमन! अब बहुत दूर वो! कितने मजबूर वो। ले नई जिंदगी के शरारे चले ! नूर आंखों का दिल के सहारे चले! ©Mumtaz Ahmed Khan अपनी बिटिया की विदाई पर #VantinesDay