चुप थे काहे डरती हो दुनिया से... डरने से कुछ नहीं होता... अपनी आवाज़ को आवाज़ दो.. अपने आप से अच्छा कोई अंदाज़ नहीं होता.. तुम से बेहतर कुछ नहीं तुम्हारी मुस्कान से तो खुश हे फ़िज़ा.. तुम जो भी जैसे भी हो सबसे अलग हो.. काहे डरती हो जो भी हे सब सही करते हो.. तुम सम्मान हो उम्मीदों का.. ओर आसमान बुंलदियो का.. मन श्री.. ©manohar patidar #dilsebilmm #PoetInYou