आई थी पनघट पर कल वो शर्म का दामन थाम नैन से नैन मिलाते रह गए हो गई भोर से सांझ, गगरी से छलकाती गई थी पानी का वो जाम मतवाली चाल पे हाय रे उसकी फिसल गई थी जान, नाक नथुनिया पहन ईठलाई पैजनियाँ कर गई काम गोरे गालों पे तिल जो देखा हो गया बस काम तमाम, कुछ न बोली, कुछ न समझी जैसे थी अंजान फिर भी कायल अपना वो कर गई दे मंद सी मधुर मुस्कान। #Shame #YQbaba Maiden entry for #quotathon Aniket Kale #FreakySatty