डरने से नहीं बनती बात, लडते क्यों नहीं। बैठ के घोडे पे, योद्धा की तरह सजते क्यों नहीं। जरा तलवार तो पकडो, हाथ मे कसकर 'जीत' विजयश्री खुद करेगी वरण, रण की तरफ बढते क्यों नहीं।