कुछ वक्त सुहाने से थे जो अब बीत गए है अब मेरे, नही भूलती वो सारी बातें, दफ़न है जो सीने में मेरे। वक्त का पहिया घूमा ऐसा, ना लौट कर आया वो वापस, काश और अफ़सोस रह गया, और ना शेष बचा अब मेरे। कल की चिंता, ना आज की फ़िक्र, हर पल तराना था, खुशियां भी मेरी लुट गई, अब केवल दर्द बचा है मेरे। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 के प्रतियोगिता:-118 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।