सीधा वार करने का जज़्बा गवां चुका है शत्रु समर में, ईंट चलाई है उसने तो पत्थर खांये हैं उत्तर में, उसके मुख मल चुके हैं कालिख, उसका सर हम झुका चुके हैं, उसकी घटिया घात चाल को बाहुबल से रुका चुके हैं, उसके अरमानों की अर्थी धूम से निकली सजी कफ़न में, लेकिन खत्म नहीं होती है नफरत जो रखी है मन में, अपनी औकातों से बढ़कर सपने देख सका है वो गर, इसलिए की हम ने दिया है परिचय नर्मदिली का सदा ही बढ़कर, अस्त्रों की भाषा समझे तो वहीं उन्हे समझाना होगा, जो सर अमन नहीं समझा है उस सर को काट गिराना होगा, और समझना होगा शत्रु बस खड़ा है सीमा पार नहीं, एक धड़ा दुश्मन का खड़ा है हम लोगों में यहीं कहीं, कलम सजाये, भेष बनाये जहर नसों में भरते हैं, उस दुश्मन से ज्यादा गहरी चोट ये दुश्मन करते हैं, बुद्धी दीनी इंसावादी, ऐसे चोले लाख सजाते, जिस थाली अमृत चक्खा है उस थाली में थूकते जाते, ये जबतक जीते हैं , जब तक जीवित हैं इन सबमें प्राण, सीमा होंगी लाख सुरक्षित, नहीं सुरक्षित हिन्दोस्तान, तो तन से, मन से ,इस जीवन से, जलता अहद उठाओ सिंह, मातृभूमि हित नहीं जी रहे तो बेहतर है मर जाओ सिंह। #NojotoQuote अहद (प्रण) #राष्ट्र#देश#अहद#प्रण#जीवन#ज़िम्मेदारी#sacrifice#nation#responsibility#oath#fight