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खुले आसमा में टहलता सितारा हूं जो हो तुम आसमा तो त

खुले आसमा में टहलता सितारा हूं
जो हो तुम आसमा तो तुम्हारा हूं

रात के अंधेरे में चलता उज्यरा हूं
किसी दरिया की शीतल धारा हूं

सावन में छाया मेघ घना सारा हूं
कतरा कतरा बरसा मैं सारा  हूं

बंजर भूमि पर मिटने अाया हूं
गर तुम हो तो हां तुम में सिमट ने अाया हूं,

बूंद बूंद जो तरसा वो साया हूं
अब तो समेट लो मुझे राख हो आया हूं,

तेज़ नीर की धार में अब बह जाऊंगा,
इंतजार मत करना, शायद फिर आऊंगा,

शाख से गिरा वो हरा पत्ता हूं
अंकुर नहीं जो फिर फूटने आया हूं,
खुले आसमा में टहलता सितारा हूं
जो हो तुम आसमा तो तुम्हारा हूं

रात के अंधेरे में चलता उज्यरा हूं
किसी दरिया की शीतल धारा हूं

सावन में छाया मेघ घना सारा हूं
कतरा कतरा बरसा मैं सारा  हूं

बंजर भूमि पर मिटने अाया हूं
गर तुम हो तो हां तुम में सिमट ने अाया हूं,

बूंद बूंद जो तरसा वो साया हूं
अब तो समेट लो मुझे राख हो आया हूं,

तेज़ नीर की धार में अब बह जाऊंगा,
इंतजार मत करना, शायद फिर आऊंगा,

शाख से गिरा वो हरा पत्ता हूं
अंकुर नहीं जो फिर फूटने आया हूं,
dineshsaini6351

Dinesh Saini

New Creator