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करे मर्द हवा मैं बैठके आराम औरत सहे चूल्हे का ताप

करे मर्द हवा मैं बैठके आराम 
औरत सहे चूल्हे का ताप
सर्दी हो या गरम,
सहे ठंड में ठंडा और गरम में भाप
हर एक जो इस्तेमाल करे,
नारी को उसके आंसुओ को समझे बीना
बस लेना हैं उसकी नरम ,
पर कभी बन नही पाए मरहम 
सालो बिट गए पर नारी का n समझे,
कोई भी गम
बस उसको जलाना चाहे बीना कोई दोष ,
जैसे नरक के तेल गरम ।

आवाज उठाओ नारी अपने लिए 
मत सोचो ये समाज क्या कहे।

  #firstquote #poembydurgapriya #anvisht #barristerbabu #anidita 
#pravishtmishra #anchalsahu
करे मर्द हवा मैं बैठके आराम 
औरत सहे चूल्हे का ताप
सर्दी हो या गरम,
सहे ठंड में ठंडा और गरम में भाप
हर एक जो इस्तेमाल करे,
नारी को उसके आंसुओ को समझे बीना
बस लेना हैं उसकी नरम ,
पर कभी बन नही पाए मरहम 
सालो बिट गए पर नारी का n समझे,
कोई भी गम
बस उसको जलाना चाहे बीना कोई दोष ,
जैसे नरक के तेल गरम ।

आवाज उठाओ नारी अपने लिए 
मत सोचो ये समाज क्या कहे।

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