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दुर्गा मां कितने दर्द में है तेरी इस जहां की बेटि

दुर्गा मां 
कितने दर्द में है तेरी इस जहां की बेटियां।
मर्दों की दुनिया में खुद की पहचान ढूंढती, तेरी बेटियां।
इंसान से बस एक वस्तु बन रह गई है, तेरी बेटियां।
मर्दों ने जैसे चाहा वैसे इस्तेमाल की है, तेरी बेटियां।
किसी को मन चाहा तो घर की दासी बना दिया,
तो कभी बाजार में बेची जाती है, तेरी बेटियां।
नज़र खुद की गंदी हुई मर्दों की,
पर सदियों से सजा भुगत रही है तेरी बेटियां।
कोई बोले या नहीं, मन में सवाल लिए फिरती है तेरी। बेटियां।
जग की जननी है, फिर भी क्यों रूल रही है, तेरी बेटियां 😓😓

©Ramnik
  #बेटियां