ढल गयी काली रात हुआ एक नया सवेरा, लो ऊगा सूरज फिर से गगन में मिटटी में मिल गया अँधेरा, बहोत नाज़ था रात को अपने काले करतूतों पर, लो झुलस गया खोखला गुरुर उसका उजड़ गया उसका बसेरा, मुट्ठी में बंद करके खुशियां कर रखा था कब्जा समय को उस ने, लो चाल उलटी चलदी समय ने सूरज के हाथों है उस को खदेड़ा, रात भी किन्तु हठी है बहोत हार उसने नहीं है माना, बखूबी जानती है-फिर से उसे आना है, होते होते शाम फिर से-डेरा जमाना है, इसीलिए चुपचाप बैठी है कोने में, नहीं खड़ी करनी उसको-बेकार का बखेड़ा, मन ही मन कह रही वो: "अभी इत्राले तू जी भर के सवेरा, ये वक्त भला अभी हो तेरा, रात तो फिर भी पूरा है मेरा, हाँ!!रात पूरा ही है मेरा"!!!!! Bin ek dusre ke dono adhure, Bin ek duze ke hote naa purey, Raat hai to din ka wazood hai, Din k hi godi me raat v dekho mehfuz hai. #dinraatkibaatein #ekdusrekesampurak #yqbaba #yqdidi #kashmakash #kavita #poetry #guftgu