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✳️ नींद से ठन गई✳️ कि तू क्या है - न तो तेरा कोई

✳️ नींद से ठन गई✳️


कि तू क्या है -
न तो तेरा कोई स्वाद है, न तू दिन है, न ही तू रात है ।
फिर भी तू बेखौफ आती है, यही तो सोचने वाली बात है ।।
न तू सोच है, न ही विचार है।
न तेरा कोई अस्तित्व, न तुझमें कोई विकार है ।।
समय तुझ पे भरपूर है ।
तुझमें न कोई नूर है ।।
हालांकि, देती तू सबको सुकून है ।
हम से हर रात कहती तू कमिंग सून है ।।
न तो तुझे आज तक कोई छू पाया है, और न ही छू पायेगा ।
तुझे जिस्म में अधिक समाहित करने वाला, देखना बडा पछतायेगा ।।
कि माना शिकार हैं हम सब तेरे ।
पर याद रखना, खात्मा भी हम ही करते हैं तेरा हर सवेरे ।।
आज, राज तेरा खुल गया, पाण्डेय की कलम के सामने -
कि तू नींद नहीं आधी मौत है, स्वप्न तेरे कैदी हैं ।
और अब चाहकर भी तू कुछ बिगड़ नहीं सकती मेरा, 
ले! ये पंक्तियाँ ही मैंने तुझ पे लिख दी हैं ।।
ऐ नींद! अब गलत समय मत आना, नहीं तो तुझे सुला दूँगा मैं ।
और मुझे तेरे मुकम्मल आने तक, यूँ ही लिखता रहूँगा मैं ।।

@ Harshvardhan Pandey© ##Neendsethangai
✳️ नींद से ठन गई✳️


कि तू क्या है -
न तो तेरा कोई स्वाद है, न तू दिन है, न ही तू रात है ।
फिर भी तू बेखौफ आती है, यही तो सोचने वाली बात है ।।
न तू सोच है, न ही विचार है।
न तेरा कोई अस्तित्व, न तुझमें कोई विकार है ।।
समय तुझ पे भरपूर है ।
तुझमें न कोई नूर है ।।
हालांकि, देती तू सबको सुकून है ।
हम से हर रात कहती तू कमिंग सून है ।।
न तो तुझे आज तक कोई छू पाया है, और न ही छू पायेगा ।
तुझे जिस्म में अधिक समाहित करने वाला, देखना बडा पछतायेगा ।।
कि माना शिकार हैं हम सब तेरे ।
पर याद रखना, खात्मा भी हम ही करते हैं तेरा हर सवेरे ।।
आज, राज तेरा खुल गया, पाण्डेय की कलम के सामने -
कि तू नींद नहीं आधी मौत है, स्वप्न तेरे कैदी हैं ।
और अब चाहकर भी तू कुछ बिगड़ नहीं सकती मेरा, 
ले! ये पंक्तियाँ ही मैंने तुझ पे लिख दी हैं ।।
ऐ नींद! अब गलत समय मत आना, नहीं तो तुझे सुला दूँगा मैं ।
और मुझे तेरे मुकम्मल आने तक, यूँ ही लिखता रहूँगा मैं ।।

@ Harshvardhan Pandey© ##Neendsethangai