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21वीं सदी के इन 20 वर्षों में दुनिया के बाकी 142 द

21वीं सदी के इन 20 वर्षों में दुनिया के बाकी 142 देश शानदार प्रगति कर रहे हैं जिनमें - चीन ब्राजील रूस इंडोनेशिया तुर्की केन्या दक्षिण अफ्रीका के साथ हमारा भारत भी शामिल है ।
इस विकास की हमारे देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है।
आबादी की बेलगाम बढ़ोतरी और अनियंत्रित अनियोजित औद्योगिकीकरण ने कई शहरों को पर्यावरणीय नर्क बना डाला और तमाम नगर इसी राह पर चल रहे हैं।
देश के 88 में से 75 जॉन बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं और पवित्र नदियों का पानी नहाने लायक भी नहीं बचा है। 💕🙏#नमस्कार 💕🙏
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बढ़ती जनसंख्या के दबाव और अंधाधुंध तरीके से औद्योगिकीकरण व शहरीकरण की मार झेल रहे हमारे देश में इन समस्याओं से निपटने के नाम पर आधे अधूरे मन से बनाई गई लचर नीतियां आग में घी का काम कर रहीं हैं । यह भारत सहित दुनिया के अधिकांश गरीब और विकासशील देशों की कहानी है ।
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भारत का पर्यावरण इसके विशाल पड़ोसी चीन की तुलना में कुल मिलाकर ज्यादा बेहतर है क्योंकि भारत काफी धीमी गति से विकास कर रहा है लेकिन यह स्थिति बदल रही है अब शहर के भूजल में पारे की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा देश
21वीं सदी के इन 20 वर्षों में दुनिया के बाकी 142 देश शानदार प्रगति कर रहे हैं जिनमें - चीन ब्राजील रूस इंडोनेशिया तुर्की केन्या दक्षिण अफ्रीका के साथ हमारा भारत भी शामिल है ।
इस विकास की हमारे देश ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है।
आबादी की बेलगाम बढ़ोतरी और अनियंत्रित अनियोजित औद्योगिकीकरण ने कई शहरों को पर्यावरणीय नर्क बना डाला और तमाम नगर इसी राह पर चल रहे हैं।
देश के 88 में से 75 जॉन बुरी तरह प्रदूषित हो चुके हैं और पवित्र नदियों का पानी नहाने लायक भी नहीं बचा है। 💕🙏#नमस्कार 💕🙏
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बढ़ती जनसंख्या के दबाव और अंधाधुंध तरीके से औद्योगिकीकरण व शहरीकरण की मार झेल रहे हमारे देश में इन समस्याओं से निपटने के नाम पर आधे अधूरे मन से बनाई गई लचर नीतियां आग में घी का काम कर रहीं हैं । यह भारत सहित दुनिया के अधिकांश गरीब और विकासशील देशों की कहानी है ।
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भारत का पर्यावरण इसके विशाल पड़ोसी चीन की तुलना में कुल मिलाकर ज्यादा बेहतर है क्योंकि भारत काफी धीमी गति से विकास कर रहा है लेकिन यह स्थिति बदल रही है अब शहर के भूजल में पारे की मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा देश