शब ए महताब की भांति चमक उठता हैं तेरा मायूस चेहरा, बन दीवाना दिल तेरी गिरफ्त हो जाता है चाहे हो कड़ा पहरा, इतनी सादगी मानो ख़ुदा ने बड़ी ही फुर्सत में बैठ बनाया हो, न हार न किया सोलह श्रृंगार ,बस आँखों मे है काजल गहरा, देख तबियत ठीक हो जाती है, नीला समुद्र भी हो जाता हरा, अप्सरा ए आफरीन लगती हो रंग रूप भी है इतना सुनहरा, नजर जो झुकी तो मानो पूरी की पूरी कायनात ही शर्मा जाये, तुम पर ही दिल हारे हैं तो तुम्हें छोड़कर अब बता कहाँ जाए देख ये मासूमियत कर न जाये कोई फ़क़त ही सियासत, मन को तो मना हम लेते हैं, पर दिल करता तेरी हिमायत। एक बार कैप्शन अवश्य पढ़ें. #kavyamela #competitionwriting साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता (प्रतियोगीता-4)