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ईश्वर सदृश्य नहीं फिर भी वो मौज़ूद है आभास होता है

ईश्वर सदृश्य नहीं  फिर भी वो मौज़ूद है
आभास होता है जब हम प्रार्थना करते हैं

हम ईश्वर को भूले रहते हैं जब हम ज़श्न में डूबे रहते हैं
ज़िंदगी की नैया जब बार बार लड़खड़ाती है तो हम प्रार्थनाएं करते रहते हैं

बुरा जब हद से ज्यादा होता रहता है
ईशवरीय शक्ति को कोसते रहते हैं

शिकायत करते हुये हम.भूल जाते हैं
कि ईश्वर मेहरवां अब भी है वो बदलता नहीं है 
हर तरफ हर जगह हर क्षण 

प्रार्थनाएं होती रहनी चाहिए अपने लिए ना सही 
किसी और की ज़िन्दगी आपकी प्रार्थना से  अच्छी हो जाये

ज़िंदगी के कुछ  क्षण में उसका धन्यवाद करो
जो ज़िंदगी की नेमत मिली है हमको वो बहुत खूबसूरत है
©®करिश्मा राठौर #प्रार्थनाएं
ईश्वर सदृश्य नहीं  फिर भी वो मौज़ूद है
आभास होता है जब हम प्रार्थना करते हैं

हम ईश्वर को भूले रहते हैं जब हम ज़श्न में डूबे रहते हैं
ज़िंदगी की नैया जब बार बार लड़खड़ाती है तो हम प्रार्थनाएं करते रहते हैं

बुरा जब हद से ज्यादा होता रहता है
ईशवरीय शक्ति को कोसते रहते हैं

शिकायत करते हुये हम.भूल जाते हैं
कि ईश्वर मेहरवां अब भी है वो बदलता नहीं है 
हर तरफ हर जगह हर क्षण 

प्रार्थनाएं होती रहनी चाहिए अपने लिए ना सही 
किसी और की ज़िन्दगी आपकी प्रार्थना से  अच्छी हो जाये

ज़िंदगी के कुछ  क्षण में उसका धन्यवाद करो
जो ज़िंदगी की नेमत मिली है हमको वो बहुत खूबसूरत है
©®करिश्मा राठौर #प्रार्थनाएं