ये दुनिया तो महज़ मेरी, कुन की है पैदाइश ا कभी जन्नत का सोचा है, हाथों से बनाई है اا कर के रोज़ गुनाहों को, जो तुम ग़फ़लत में सोते हो ا तुम्हारा हाल क्या होता, जो हम रहमान न होते اا बना कर ज़ात-ए-आदम को, बस इतना कहा मैंने ا फ़क़त उस पेड़ को ना जाना, मेरी जन्नत तुहारी है اا जाल कर दिल को ज़ुल्मी से, जो तम बरसों तलक तड़पे ا कभी दोज़ख़ का सोचा है , उसकी तपिश का आलम क्या اا #hqhindishayari#hqurdupoetry #hqurdupoetry #hqbaba #hqdidi #hqbabaquotes #hqshayari