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ये दुनिया तो महज़ मेरी, कुन की है पैदाइश ا कभी ज

ये दुनिया तो महज़ मेरी, 
कुन की है पैदाइश ا 
कभी जन्नत का सोचा है, 
हाथों से बनाई है اا

कर के रोज़ गुनाहों को, 
जो तुम ग़फ़लत में सोते हो ا 
तुम्हारा हाल क्या होता, 
जो हम रहमान न होते اا 

बना कर ज़ात-ए-आदम को, 
बस इतना कहा मैंने ا 
फ़क़त उस पेड़ को ना जाना, 
मेरी जन्नत तुहारी है اا

जाल कर दिल को ज़ुल्मी से, 
जो तम बरसों तलक तड़पे ا 
कभी दोज़ख़ का सोचा है , 
उसकी तपिश का आलम क्या اا
 #hqhindishayari#hqurdupoetry #hqurdupoetry  #hqbaba #hqdidi #hqbabaquotes #hqshayari
ये दुनिया तो महज़ मेरी, 
कुन की है पैदाइश ا 
कभी जन्नत का सोचा है, 
हाथों से बनाई है اا

कर के रोज़ गुनाहों को, 
जो तुम ग़फ़लत में सोते हो ا 
तुम्हारा हाल क्या होता, 
जो हम रहमान न होते اا 

बना कर ज़ात-ए-आदम को, 
बस इतना कहा मैंने ا 
फ़क़त उस पेड़ को ना जाना, 
मेरी जन्नत तुहारी है اا

जाल कर दिल को ज़ुल्मी से, 
जो तम बरसों तलक तड़पे ا 
कभी दोज़ख़ का सोचा है , 
उसकी तपिश का आलम क्या اا
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tariqueaziz4570

Abeer Saifi

New Creator