वो लेने को चली खुशी, मेरे संग मेले में, कदमों को जोड़ संग संग , मैं भी फूँकता चला, नज़रों से उसकी उँगली का घाव, वहाँ वो भी खो गयी अपने, घर को सजाने में, मैं भी अपनी दुनिया सजाने को, उसकी नजरों से खुशी, खरीदता रहा... - अविनाश #NojotoQuote